How people react psychologically
जब संकट होता है तब लोगों की मानसिक हालत कुछ ऐसी होती है #COVID19
१. अनिश्चिता का माहौल (Uncertainty)
२. डर, घबराहट व भय (Anxiety, fear,dread, & stress)
३. निराशा व बेबसी (Helplessness & hopelessness)
४. अस्वीकार (Denial)
५. आतंक/ हलचल/ भगदड़ (Panic)
डर, भय, घबराहट एक बहुत ही जरुरी मनोचिकित्सीय भाव है संकट के समय। कुछ परिस्थितियों में ये लोगों को मोटीवेट करता है उन्हें जरुरी कदम लेने में मदद करता है वहीँ कुछ लोग इसके चलते इतने डर जाते है की लोग कुछ भी नहीं कर पाते है। या फिर लोग समझ ही नहीं पाते है की उन्हें क्या करना है और कुछ ऐसा कर देते है जो उनके और बाकि लोगों के लिए नुकसानदायक हो।
कई बार इनके चलते लोग ये तो समझ जाते है की स्थिति चिंताजनक व् वास्तविक है लकिन वो अपने आपको असहाय महसूस करते है और उन्हें लगता है की वो अब कुछ नहीं कर पायेगें। ऐसे में वो शारीरिक व मानसिक तौर पर अपने आपको बिलकुल अलग कर लेते है। नतीजन लोग निराशा में चले जाते है और वो सब कदम भी नहीं ले पाते जिनके चलते वो अपनी मदद कर सके। कई बार ये परिस्थतियाँ आंतक का रूप भी ले लेती है जो किसी के लिए तीख नहीं है।
What to do by communicator
ऐसे में क्या करना चाहिए ताकि ऐसी परिस्थति पैदा ही ना हो या नियंतरण में रहे
१. ऐसे में अगर लोगों को सही जानकारी बार बार दी जाये, लोगों को साफ तौर पे बताया जाये की वो क्या कर सकते है, सरकार क्या कर रही है, कितना कर सकती है , क्या नहीं कर सकती है और आगे क्या करने वाली है तो अनिश्चिता का माहौल कम हो जाता है।
२. लोगो को झूठा आश्वाशन या वादा मत करो जो आप नहीं कर सकते चाहे लोगों का इस से दिल टूट जाये, इसके दूरगामी अच्छे परिणाम होते है।
३. ऐसी खबर जो लोगों में डर, भय , व घबराहट पैदा करती है वो कम सुननी, देखनी व पढ़नी चाहिए। अफवाह व गप्पों से दूर रहना चाहिए।
४. अगर भय, डर व घबराहट का माहौल कम कर दिया जाये तो लोग अपने आपको बेबस व लाचार नहीं समझेगें और कम से कम अपने लिए तो कुछ कर ही पायेगें।ऐसे में अगर कुछ ऐसा किया जाये जिस से लोग अपने आपको एक दूसरे से जुड़ा हुआ महसूस करे जैसे की कुछ प्रतिकतम कार्य जैसे की आज का दिया जलाने का काम, जनता कर्फ्यू के दौरान घंटी या थाली बजाने का। ऐसे माहौल में लोगों को डर, भय, घबराहट कम होती है। लोग एक दूसरे को देखकर ऐसा महसूस करते है की वो अकेले नहीं है और हिम्मत बंधती है की आने वाले समय में कुछ हो पायेगा या वो कुछ कर सकते है। लोग अपने आपको सक्षम व शशक्त महसूस करते है।
दिवाली पर भी वो ही दिया जलाते है जो आज। दिए का असर हमारी मनोस्थिति पर कैसे पड़ता है वो हमारी मनोस्थिति तय करती है ना की दिया। आईये अपने और अपनों की मनोस्थिति को अच्छा करने के लिए हम इसमें अपने अन्तःमन से इसमें भाग ले।