Testimonials
Vijay Kumar Jaipur,Rajasthan
मेरी उम्र 61 वर्ष है , में राजस्थान रोडवेज में 1976 से कार्यरत था अब में रिटायर हो चूका हूँ। जब मैंने सर्विस ज्वाइन करी उसके बाद जो रोडवेज के कर्मचारी थे जो कि शराब पिया करते थे वे मेरे दोस्त बने, पता नहीं कब व कैसे मैंने भी ऑफिस टाइम के बाद पीना शुरू कर दिया। धीरे धीरे ये मेरी आदत बन गयी। फिर मेरे मन में ये बात घर कर गयी की अगर मैंने नहीं पी तो मुझे रत को नींद नहीं आएगी और में ऑफिस नहीं आ पाउँगा इस कारण चोरी छिपे मैंने घर पर रोज पीनी शुरू कर दी। फिर में समाज से कट हो गया। में किसी भी सामाजिक कार्य में जाने में कतराता था अगर कहीं जाना बहुत जरुरी होता तो घर से पी कर ही जाता था और रिश्तेदारों से दूर ही रहता था क्यों कि मुझे डर रहता था की कहीं वे समझ नहीं जाएँ की मैंने पी रखी है। अब में रिटायर होने वाला था , मेरे बच्चे व् पत्नी मुझे शराब छोड़ने के लिए विवश करने लगे ऐंव मेरे न चाहने पर भी मुझे यहाँ ले आये। अब मैंने शराब छोड़ दी है , मेरी दूनिया ही बदल गयी है। आज में वापिस उसी समाज से जुड़ गया हूँ।.
Mr. Ratan Doongri Jaipur,Rajasthan
दोस्तों मैं रतन चौधरी जयपुर से हुँ। मैंने स्टूडेंट लाइफ़ में सन 2000 से ड्रिंक करनी चालु कर दी थीं। बहुत अच्छा लगता था दोस्तों के साथ पार्टी करना। पहले केवल बीयर पीता था फिर धीरे धीरे शराब पीनी चालु करदी। सुरु में तो घर वालों को नही पता था पर धीरे धीरे घर पर पता चलने लगा। सब को अच्छा नही लगता था। मना भी करते थे। पर मुझे लगता था पार्टी के बिना ना अच्छे दोस्त बनते हे ओर ना अच्छा फ़्रेंड सर्कल।धीरे धीरे कब इसका आदी होगाया पता ही नही चला।घर मे भी ड्रिंक को ले कर अच्छा माहौल नही रहता था। अब ड्रिंक के साइड इफ़ेक्ट चालू होने लग गये।सन 2016 मे लोगों ने कहना चालू कर दिया की आप ड्रिंक जादा करते हों आप की बॉडी वाइब्रेट करती हे।सन 2017 मे मुझे लगने लगा की मेरे मे पहलें वालीं बात नही हे। मेरा ब्लड प्रेशर 120/170 रहने लगा। फिर मेरे बचपन के दोस्त डॉक्टर अमित गुप्ता से मिला ।उन्होंने मेरा बॉडी चेक अप किया।ब्लड प्रेशर के अलावा सब कुछ ठीक था। उन्होंने कहा आप ड्रिंक छोड़ दो। मैंने कुछ दिन तो छोड़ दी पर फिर ड्रिंक करने लगा। कुछ टाइम बाद मुझे लोगों से मिलना अच्छा नही लागता था।मॉर्निंग का टाइम मुझे अच्छा नही लगता था। मन करता था कहीं दूर चला जाऊँ। यह बात मैंने किसी को नही बतायीं। बस यह लगता था की मेरी लाइफ़ ख़त्म होगायी हे। मैं कुछ भी नही कर सकता अब। जबकि मेरा ज़मीन का बहुत अच्छा काम था।मुझे यह समझ नही आ रहा था की मुझे क्या होगाया हे। ड्रिंक करने के बाद मैं अकेले में इम्मोसंल हों जाता था ओर मुझे लगता था की मैं नॉर्मल नही हूँ अब। थोड़े टाइम बाद मुझे लगने लगा की मै सुसाइड कर लु। ड्रिंक करने के बाद मैं मेरे बचपन के दोस्त कुलदीप सिंह को फ़ोन करता था की भाई मेरे पास आजा मैं ठीक नही हुँ।मुझे कहीं ले चल। पर मुझे यह समझ नही आ रहा था की मुझे हों क्या गया हे। मुझे मेरे फ़्रेंड डॉक्टर अमित गुप्ता ने कहाँ की ड्रिंक बन्द करदे। फ़ैमिली में यह बात बताता तो ओर ज़्यादा टेन्शन होती।फिर एक दिन रात को मैंने मेरे दोस्त डाक्टर दारा सिंह पूनिया को फ़ोन किया की भाई मैं ठीक नही हुँ। दूसरे दिन मैं डॉक्टर दारा सिंह पूनिया से मिला। मैंने उनको सब बताया।डॉक्टर साहब ने मुझे जों सपोर्ट ओर ट्रीटमेंट दिया मुझे कुछ दिन में ही सब ठीक होने लगा। आज मैं बिलकुल ठीक हुँ ओर मैंने नशा बिलकुल छोड़ दिया है ।मैंने एक ही चीज़ महसूस की है नशा चाहे जों भी हों ग़लत है ।पैसे, टाइम और घर की शान्ति को ख़राब ही करता है। मैं डॉक्टर अमित गुप्ता ओर डॉक्टर दारा सिंह पूनिया का ताउम्र अहसान बन्द हू जिन्होंने मुझे नया जीवन दिया है। मैं ज़्यादा तो नहीं जानता पर इतना जानता हू की आप चाहै तो नशा छोड सकते है नहीं छोड़ सकते तो किसी अच्छे डॉक्टर को देखाये।
Ojaswini Dahiya Founder, Ojas Mind
Working with Mindroot for a month was fulfilling. Running the social media taught me the power of purposeful content in mental health health advocacy. Proud to be part of it.
Ayaan Gangwani, Founder, Mind Matters
Volunteering at Mindroot was eye-opening. Managing the social media page allowed me to raise awareness and conecct with a passionate community. It was a rewarding experience.
Sarah Rivers, Sem 111 MSW Student
I had a wonderful experience interning with Mindroot Foundation. I was particularly impressed with their holistic approach to the mental health in rural communities.